Wednesday, June 30, 2010

Shubh Aarogyam)Dhyan kisaraltam vidhiyan -2



नमस्ते भारतवर्ष
ध्यान की सरलतम विधियाँ -२
अ-हर कार्य को धीमी गति से रस लेतें हुए करें । पूरे साक्षी भाव के साथ , पूरी समग्रता के साथ । इससे तनाव निर्मित नहीं होता और मन शांत बना रहता है । दिनभर के कार्यों को पूरी समग्रता के साथ करें जिस समय जो कार्य करें उसी का आनंद लें ।
बी- जब मौन में पूर्णतया निश्चल ,साक्षी भाव से केवल अपने मन को देखेंगे तो धीरे -धीरे विचारों का आवागमन भी थमने लगेगा और विचार लुप्त-प्राय: होने लगेंगे ।
सी - इस प्रकार हम चेतना के उच्चतम शिखर प़र पहुँचाने लगेंगे जंहा प़र केवल पवित्र ध्वनि गूँज रही होगी । हमारे अस्तित्व की ध्वनि, हमारे आकाश की ध्वनि ..............
डॉस्वीट  एंजिल
DIRECTER & FOUNDER SHUBH AAROGYAM
The spiritual Reiki healing & training center
DELHI

SHUBH AAROGYAM DHYAN KI SARALTAM VIDHIYAN -1


ध्यान की सरलतम विधियाँ -
नमस्ते भारतवर्ष
मेरे इस दूसरे ध्यान संस्करण में मैं आप सबको एक और सरल तकनीक बताने जा रहीं हूँ।
अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भाव से देंखें ............साँसे आ रहीं हें ...............साँसे जा
रहीं हें। इस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करें। धीरे-धीरे साँसों की गति को धीमा करतें जाएँ।
मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........
जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा ।
१ से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें
अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करें। अकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलग। शरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा है। कहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम आ रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है ।
आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................न कोई क्रिया - न प्रतिक्रिया ।
२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें है ।
डॉ स्वीट एंजिल 
DIRECTER & FOUNDER SHUBH AAROGYAM
The spiritual Reiki healing & training center
e-4/30 Krishna Nagar
Delhi 110051

Wednesday, June 9, 2010

(mera ghar) kuch shabd mere apne Dr.Sweet Angel




mera ghar

मेरा घर,
सुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्माता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फुहारों में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
ओस की बूंदों में नहाता,
इन्द्रधनुषी रंगों में रंगता मेरा घर!
सावन की बौछारों में मचलता
शीतल बयार में इतराता मेरा घर!
क्या जानू मैं स्वर्ग क्या है,
इन्द्र लोक का वैभव क्या है,
समस्त लोक का नैसर्गिक सुख,
देता लुटाता मेरा घर
.......................सदैव
......................डॉ।स्वीट एंजिल

Tuesday, June 8, 2010

shubh aarogyam Dr.Sweet Angel dhyan

नमस्ते भारतवर्ष
मेरे इस दूसरे ध्यान संस्करण में मैं आप सबको एक और सरल तकनीक बताने जा रहीं हूँ।
अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भव से देंखें ............साँसे आ रहीं हें ...............साँसे जा
रहीं हें। इस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करें। धीरे-धीरे साँसों की गति कोधीमा करतें जाएँ।
मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........
जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा ।
१ से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें
अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करें। अकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलग। शरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा है। कहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम आ रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है ।
आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................न कोई क्रिया - न प्रतिक्रिया ।
२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें है ।




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Monday, June 7, 2010

Believe yourself dr. sweet angel

Don't limit yourself. Many people limit themselves to what they think they can do. You can go as far as you mind lets you. What you believe, you can achieve.