न कटाक्ष ,न व्यंग्य ,न औपचारिकता ,न सम्मोहन . बस एक अदद ,अटूट सत्य. आप बधाई की पात्रा हैं डॉ शालिनी अगम। …। ,तत्कालीन साहित्यिक जगत की पारदर्शिता का बखूबी आंकलन आपकी रचनाओं में
हम तो चिराग हैं उनके आशियाने के ,कभी ना कभी तो बुझ जायेंगे ,आज शिकायत हैं उन्हें मेरे उजालों से ,कल उन्हें अंधेरे में बहुत याद आयेंगे . . . . hum to chirag hain unke ashiyane ke ,kabhi na kabhi to bujh jayenge , aaj shikayat hai unhe mere ujalon se ,kal andhere mein bahut yaad aayenge ..