Thursday, November 18, 2010

Dr.Sweet Angel

मेरी एक कविता ................या .......................कह लीजिये मेरे जीवन-साथी को समर्पित कुछ शब्द ..............आभार ............या धन्यवाद ............कि  उन्होंने मुझे अपनी जीवन-संगिनी के रूप में  स्वीकार कर मुझे धन्य किया .................कृतज्ञता के ये कुछ शब्द रुपी पुष्प उन्हें समर्पित ...........................
सौंदर्य का सार
सौंदर्य.......................
...........
भला लगता है नेत्रों को,
सुखद लगता है स्पर्श से,
संपूर्ण विश्वा एक अथाह सागर, जिसमे भरा है सौंदर्य अपार,
हर चार -अचर हर प्राणी, सौन्दर्य को पूजता है बार-बार;
सौन्दर्य का भण्डार है देव -लोक,
सौंदर्य का कोष है पृथ्वी -लोक ,
प्रत्येक पूजित अपूजित व्यक्ति,
कल्पना करता है तो केवल,
सौंदर्य को पाने की;
परंतु....................................
एसे कितने मिलते है यहाँ ,
जो रूपता कुरूपता को,
समान पलडे पर तोलते है; जो चाहते है मानव -मात्र को,
मानते है दोनों को समान ,
शायद कुछ-एक-ही
कहीं ये एक समझोता तो नहीं?
नहीं;.................................
यह कठोर सत्य है,
वे वस्तुतः; प्रेमी है,
मन की सुन्दरता के;
शारीरिक सौंदर्य जिन्हें,
भटकाता नहीं है ,
वास्तविक जिंदगी से दूर............
उन्हें ले जाता नहीं है!
१९८९...........
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1 comment:

dr.yashvardhan said...

Great thoughts lying behind but expressed in a pathetic tone ! Indeed some hidden outcome of under trodden female ! but now the time has changed and females are no more the beauty of home! she is well closed to males in every aspect of life !