(mera ghar) kuch shabd mere apne Dr.Sweet Angel
मेरा घर,
सुबह की धूप में गुनगुनाता,
कड़कती ठण्ड में ठिठुरता मेरा घर,
सायं की लाली में सुर्माता
दोपहर की गर्मी में तपता मेरा घर!
रिमझिम फुहारों में भीगता
चाँद की चांदनी में चमचमाता मेरा घर,
ओस की बूंदों में नहाता,
इन्द्रधनुषी रंगों में रंगता मेरा घर!
सावन की बौछारों में मचलता
शीतल बयार में इतराता मेरा घर!
क्या जानू मैं स्वर्ग क्या है,
इन्द्र लोक का वैभव क्या है,
समस्त लोक का नैसर्गिक सुख,
देता लुटाता मेरा घर
.......................सदैव
......................डॉ।स्वीट एंजिल
www.aarogyamreiki.com
4 comments:
Great thoughts lying behind but expressed in a pathetic tone ! Indeed some hidden outcome of under trodden female ! but now the time has changed and females are no more the beauty of home! she is well closed to males in every aspect of life ! ..
very well said......
great dr.shalini
i love your posts............
muaahhhhhhhh
luv u mam
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