ध्यान की सरलतम विधियाँ -१
नमस्ते भारतवर्ष
मेरे इस दूसरे ध्यान संस्करण में मैं आप सबको एक और सरल तकनीक बताने जा रहीं हूँ।
अपनी श्वांसों के आवागमन को केवल साक्षी भाव से देंखें ............साँसे आ रहीं हें ...............साँसे जा
रहीं हें। इस क्रिया को आनंद के साथ सिर्फ अनुभव करें। धीरे-धीरे साँसों की गति को धीमा करतें जाएँ।
मन इधर-उधार भटकता है ,भटकने दो,.............. इधर -उधार भागता है , भागने दो...........
जब साँसों की गति धीमी होने लगेगी ,तो मन का भटकना भी कम होता जाएगा ।
१ से १० तक की गिनती तक सांसों को भरें और फिर छोड़ें
अब आत्म-स्थिर होने का प्रयत्न करें। अकर्ता भाव से शरीर से अलग होकर ,शरीर में होने वाली हर क्रिया को बस अवलोकन करतें रहें.जैसे आप चित्र-पट प़र कोई चल-चित्र देख रहें हों.अब आप अलग है और शरीर अलग। शरीर में अनेको घटनाएँ घट रहीं हें,मन उछल -कूद कर रहा है। कहीं दर्द हो रहा है तो कहीं खुजली हो रही है,कहीं आराम आ रहा है कहीं बेचैनी है ,कहीं हल्का है तो कहीं भारी है ।
आप बस केवल उसे चुप-चाप महसूस करतें रहें, निहारतें रहें ................न कोई क्रिया - न प्रतिक्रिया ।
२४ घंटे बस साक्षी-भाव से अपने आपको साधतें रहें तो मन से भय,क्रोध,घृणा,चिंता,निराशा सभी कुछ निकलता चला जायेगा और फिर धीरे-धीरे आप पाएंगे कि आप ध्यान-पूर्ण होते जा रहें है ।
डॉ स्वीट एंजिल
DIRECTER & FOUNDER SHUBH AAROGYAM
The spiritual Reiki healing & training center
e-4/30 Krishna Nagar
Delhi 110051
1 comment:
dr.shalini
i am very much fascinated to know more about it..
i am in the seeking phase of this spiritual path...seeker u can say
and i can guess it needs a lot of efforts to develop in urself that power of healing..
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