Saturday, April 17, 2010

कुछ शब्द मेरे अपने प्यार की परिभाषा

प्यार की परिभाषा
प्यार की परिभाषा है क्या ,
कोई मुझे बताये ,
प्यार कहते हैं किसको
ये ज़रा समझाए .
प्रेम होता है जिससे .......
समीपता लगती है भली,
पिया संग रहें सदा
प्यास रहती है यही,
उनकी ज़रा सी बेरुखी,
सही जाती नहीं है,
उनका बेगानापन थोडा भी,
भेद जाता है मन को ,
उनके दूर होते ही ,
पल युगों में बदलतें हैं ,
घडी-घडी पलकें बिछाएं ,
नैन राह को तकतें हैं,
हर आहट पर धड़कता है दिल,
मन की गहराईयों में छिपी चाह,
सीमायें तोड़ देती हैं सभी,
प्यास बुझती है तभी आँखों की,
होती है प्रियतम से जब दो-चार/
डॉ.शालिनीअगम
१०८९ से अब तक
कुछ शब्द मेरे अपने

8 comments:

A FAN said...

SWEET SHALINI,
I JUST READ YOUR CREATION.
MARVELOUS.

A FAN

atul said...

prem hota jisse sameepta lagti hai bhali


realy heart touching

aaaaaaaaatul

anonymous said...

tusi great ho shaliniji
hum to aapke aashiq ho gaye.
aaapke hi....

Anonymous said...

u r that tipe auther who touches the heart of alll people who read this
aryan

dr.yashvardhan said...

Great thoughts lying behind but expressed in a pathetic tone ! Indeed some hidden outcome of under trodden female ! but now the time has changed and females are no more the beauty of home! she is well closed to males in every aspect of life !

pradeep lal said...

so nice dr. shalini

VIBHUTI SHAH said...

i love you mam.......

Cp.Malhotra said...

wow........great
dr.sweety