Thursday, April 15, 2010

कुछ शब्द मेरे अपने

दुःख तो साथी है मेरा , लम्बी पहचान है,
उसे मानने का मन है , वो है तो मैं हूँ,
यही तो है मेरा यथार्थ , यही तो है अपना सा,
हर-पल मेरा साया, कभी छोड़ता ना पीछा ,
दुःख कहती हूँ , तो आँखों में एक रस होता है,
निर्झर बहते अश्रु, कहते हैं कि मैं हूँ !
घावों को कुरेदती हूँ , तन में पीड़ा होती है,
कराहते बदन , कहते है कि मैं हूँ !
पीड़ा होती है , तो अस्तित्व का भान होता है ,
एकाकी , मायूस मन, कहते है कि मैं हूँ !
इस दुःख के बिना , मैं हो ही नहीं सकती,
बिना मांगे , बिन बुलाये भागा चला आता है,

मेरे सबसे पास , सबसे करीब ,
अब तो दुःख में ही , रस आता है,
मेरे होने में ही , मेरा दुःख नियोजित है,
क्योंकि मेरा दुःख है , तो में हूँ!
डॉ. शालिनीअगम
www,aarogyamreiki.com

1 comment:

AGAM said...

my love
I'm so excited spending my whole life with someone that I truly love and care about, spending each special day with all the love in our heart of hearts. I love you so much and will always love until forever. That's a promise that I'll surely going to keep forever in my heart.