कुछ शब्द मेरे अपने (स्व:) कौशार्य की विस्मृत कोमलता लौट आने को है, बचपन के उमंग , उल्लास ,स्वच्छंदता ,गीत-नाद , उत्सव------ सब कुछ लुप्त हुए थे कभी , प़र साजन के प्रेम में भीगी , चपल खंजन-सी ,फुदकती,चहकती , नवयुवती अलसाने को है! डॉ.शालिनीअगम 2002
5 comments:
rahul
said...
wow that is superb mam u r fantastic aouther rahul
5 comments:
wow that is superb mam u r fantastic aouther
rahul
शालिनीजी ,
आपकी भाषा-शैली मुझे' जय शंकर प्रसाद' की याद दिलाती है .
आप का यह गुण प्रशंसनीय है,
विजयी भव.
डॉ. र. शुक्ल
http://d.yimg.com/kq/groups/28631830/homepage/name/819146?type=sn
I just want to be happy, cheerful, and glad ....& u will help me
Prashant gaur.Goa
I APPRECIATE U DEAR
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