Thursday, April 15, 2010

कुछ शब्द मेरे अपने (स्व:)

कुछ शब्द मेरे अपने (स्व:)
कौशार्य की विस्मृत कोमलता लौट आने को है,
बचपन के उमंग , उल्लास ,स्वच्छंदता ,गीत-नाद ,
उत्सव------ सब कुछ लुप्त हुए थे कभी ,
प़र साजन के प्रेम में भीगी ,
चपल खंजन-सी ,फुदकती,चहकती ,
नवयुवती अलसाने को है!
डॉ.शालिनीअगम
2002

5 comments:

rahul said...

wow that is superb mam u r fantastic aouther
rahul

dr.R.Shukla said...

शालिनीजी ,
आपकी भाषा-शैली मुझे' जय शंकर प्रसाद' की याद दिलाती है .
आप का यह गुण प्रशंसनीय है,
विजयी भव.
डॉ. र. शुक्ल

Anonymous said...

http://d.yimg.com/kq/groups/28631830/homepage/name/819146?type=sn

Prashant Gaur.. Goa said...

I just want to be happy, cheerful, and glad ....& u will help me
Prashant gaur.Goa

SONU said...

I APPRECIATE U DEAR