सौंदर्य का सार
सौंदर्य ........................................
भला लगता है नेत्रों को,
सुखद लगता है स्पर्श से,
सम्पूर्ण विश्व एक अथाह सागर ,
जिसमें भरा है सौंदर्य अपार ,
हर चर-अचर हर प्राणी ,
सौंदर्य को पूजता है बारम्बार !
सौंदर्य का कोष है पृथ्वी-लोक ,
सौंदर्य का भण्डार है देव- लोक,
प्रत्येक पूजित-अपूजित व्यक्ति,
कल्पना करता है तो केवल ,
सौंदर्य को पाने की ,
परन्तु......................
ऐसे कितने मिलते हैं यंहा ,
जो रूपता-कुरूपता को,
समान पलड़े प़र तोलते हैं ,
जो चाहतें हैं मानव-मात्र को
मानते हैं दोनों को समान?
डॉ.शालिनीअगम
1989
6 comments:
u are wonderful shaliniji.
beautiful words from a beautiful lady.
rajeev from
benglor
अति शोभनीय,
अति मनोहारी,
अति सुंदर,
अति उत्तम,
अति प्रशंसनीय
डॉ.शर्मा
ऊटी
HELLO DR. SHALINI,
GGGOOODDDGGGOOOIIINNNGGG
WELL DONE
HI SHAAAAAAAA
NO-NO
Dr. SHALINIJI
first to all u are looking very preety in netlog profile.& than.......really a heart touching selection .... ur all articals are bit different then other .... anyways I really like it ...... chitragupt
jitni aap khubsurat hai,
usse kahi zyada apki kavitaye
agar kisi ko kavita likhna sikhna hai to
hum to yahi kahage k wo aap se sikh
Thank u so much respected friend Dear Shalini jee..!
Lot of thanks with my regards and warm wishes for ur nice friendship.
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