Saturday, April 17, 2010

सौंदर्य का सार

सौंदर्य का सार
सौंदर्य ........................................
भला लगता है नेत्रों को,
सुखद लगता है स्पर्श से,
सम्पूर्ण विश्व एक अथाह सागर ,
जिसमें भरा है सौंदर्य अपार ,

हर चर-अचर हर प्राणी ,
सौंदर्य को पूजता है बारम्बार !
सौंदर्य का कोष है पृथ्वी-लोक ,
सौंदर्य का भण्डार है देव- लोक,
प्रत्येक पूजित-अपूजित व्यक्ति,
कल्पना करता है तो केवल ,
सौंदर्य को पाने की ,
परन्तु......................
ऐसे कितने मिलते हैं यंहा ,
जो रूपता-कुरूपता को,
समान पलड़े प़र तोलते हैं ,
जो चाहतें हैं मानव-मात्र को
मानते हैं दोनों को समान?
डॉ.शालिनीअगम
1989

6 comments:

rajeev said...

u are wonderful shaliniji.
beautiful words from a beautiful lady.
rajeev from
benglor

dr.sharma said...

अति शोभनीय,
अति मनोहारी,
अति सुंदर,
अति उत्तम,
अति प्रशंसनीय
डॉ.शर्मा
ऊटी

Dr.Sumeet Aggarwal said...

HELLO DR. SHALINI,
GGGOOODDDGGGOOOIIINNNGGG
WELL DONE

chitrgupt said...

HI SHAAAAAAAA
NO-NO
Dr. SHALINIJI
first to all u are looking very preety in netlog profile.& than.......really a heart touching selection .... ur all articals are bit different then other .... anyways I really like it ...... chitragupt

mh. syed said...

jitni aap khubsurat hai,
usse kahi zyada apki kavitaye
agar kisi ko kavita likhna sikhna hai to
hum to yahi kahage k wo aap se sikh

JIYESH said...

Thank u so much respected friend Dear Shalini jee..!
Lot of thanks with my regards and warm wishes for ur nice friendship.